देवारी

 धनतेरस के तेरा ठन दियना माटी के बना

धनवंतरी ल पूज रोग शोक ल मिटाना हे


घर गोबर लिपाय अँगना चंउक अउ पुराय

रिगबिग अंजोर जगभर बगराना हे


चांउर पिसान ल सान बाती तेलना मा बोर

घर कुरिया कोठार गली अँगना अउ खोर


मोर कोठा के भरइय्या धौंरी कजरी हे गैय्या

धनलछमी ल पूज लाई बताशा चढाना हे


जरे दियना के स्वाद दुधफरा लाजवाब 

पोनी गोबर हरदी सन गौरी गणेश बनाना हे


धान मेमरी सिलयारी मोर कोठा के दुवारी

महि कोहड़ा कोचई खिचड़ी बरा अउ सोंहारी


खैरखा हा हावे चातर जेमे माते हावे मातर

धर तेन्दुसार लौठी अउ दोहा ल गा पराना हे


पहिरे मंजूर के पंख कौड़ी लागे हावे संग

रंगे मोहन के रंग यदुवंश ये घराना हे


गैय्या खुर खुंदाए गोबर माथे मा लगाए

गोबर्धन भगवान के जयकारा लगाए


दीदी चटका बजाए सुघ्घर सुवा नाचे आए

ग्वालिन रंग धरि लाए हाथा कोठा मा गा देवाना हे 


तुलसी के बिरवा ल सुघ्घर चौंरा लगइके

खुसियारे सही मीठ ये देवारी ल मनाना हे।

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