प्रतिशोध





व्यर्थ शहादत ऐ वीरों ना आज तुम्हारा जाएगा।
दर्द व्याप्त मन, उर में आकुल कभी नही भर पायेगा।

प्रचंड आज क्रोध है, लेने को प्रतिशोध है
हर रक्त में उबाल है, हर नब्ज़ में बवाल है

उठा शस्त्र तू कर प्रहार और शत्रु नाश का बन जा काल।
धर कटार सीने पे वार दुश्मन का खाल तू चीर निकाल।

आज नयन अश्रु भी द्रवित है, धर के रूप तेजाब सा।
दिखा विकराल तू अपना वेश, प्रतिशोध नही बस आज का।

तोड़ नियम जंग के सारे तू घर मे घुस कर प्राण ले
वो पाक है नापाक है कुत्ते की पूंछ है जान ले।

अब धैर्य नही, ना धीर नही, न रहा भरोसा सब्र में
अभी समय है दफना दे तू जिंदा शत्रु कब्र में।

नही जरूरत अब शहादत पर कड़े शब्दों में निंदा।
ख़ाक कर दो पूरा पाक बचे ना कोई ज़िंदा।

📖🖋भीम ✍

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