छत्तीसगढ़िया कैसे बढ़िया
वाह रे गढ़िया, कैसे तै बढ़िया! निच्च्ट परबुधिया, हो गेहस कोढ़िया।
संस्कृति ल अपन भुलाए, गढ़ी बोले बर तै लजाए।
ठेठरी, खुरमी, चीला, अंगाकर; छोड़के पाछु घुमत हस काकर?
उठ बिहिनिया हड़िया के बासी, फांदे बैला करे बियासी।
पान रोटी सन चिरपोटी पताल, स्वाद ल अब कहां पाबे रे कंगाल।
रंग रंग आगे बर्तन भाड़ा, नंदागे तोर हड़िया।
वाह रे गढ़िया, कैसे ते बढ़िया, निच्च्ट परबुधिया, होगेहस कोढ़िया।
धर के मुठिया खेत खार मा, खोजस लासा कोसा।
थके मांदे अब घर मा आके घलो मिलत हे दोसा।
दार अउ मुनगा के चुहुकइया, जिमीकांदा के उसनईया।
मीठालीम के फोरन डार के ईड़हर कढ़ी के रन्धईया।
असकट लागत अब बनाए बर, छानी म चढ़ के बरिया।
वाह रे गढ़िया, कैसे ते बढ़िया, निच्च्ट परबुधिया, हो गेहस कोढ़िया।
छानी के मखना, रखिया, तुमा, तोरई, कुंदरू सन गलका।
अमारी जिर्रा के स्वाद हर संगी होगे तोर बर हल्का।
फेर मनखे के "मन" संगवारी, जौंन "मन" करे तौन ल खावव।
फेर अपन संस्कृति, अपन तिहार अउ अपन कलेवा ल झन भुलावव।
नवा अंजोर लव नवा रद्दा बर, चढव विकास के सीढ़िया रे।
सिद्ध कर दव ये नारा ल, "छत्तीसगढ़ीया सबले बढ़िया रे"
📖🖋भीम ✍🏻

Wah wah 👍👌
ReplyDeleteधन्यवाद संगवारी
Deleteवाह रे गढ़िया तहि तो असली संगवारी हरस मोर सबले बढ़िया 😘
ReplyDeleteहा हा हा हा...
Deleteधन्यवाद संगवारी 🙏🙏🙏
येला कथे छत्तीसगढ़िया, इसने लिखत रह बढ़िया बढ़िया
ReplyDeleteतुहरों मन के लिखाई कोई कम नई हे महोदय जी।।।
Deletebahut achha bhai
ReplyDeleteधन्यवाद संगवारी
DeleteBahut sundar au Badiya badiya
ReplyDeleteधन्यवाद संगवारी
Deleteसुग्घर यार संगवरी
ReplyDeleteधन्यवाद संगवारी 🙏🙏🙏
DeleteChhattisgadhiya...sble badhiyaa...sunder...vichaar...
ReplyDeleteधन्यवाद संगवारी
DeleteGood mere bhai wish you bestof luck
ReplyDeleteThank u so much bhai 🙏🙏🙏
Delete👌👌
ReplyDeleteBahut achha Sahu ji,kabile tarif lagis ye apke rachna ha
ReplyDeleteDhanyawad mitra
DeleteBahut hi achha hai.
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