ए तोर बनाए, ए मोर बनाए
माटी के तन मोला दे के
माटी के तन तैं मोर ले पाए
सरग ले झांक के देख बिधाता
ए तोर बनाए ए मोर बनाए।
चोला पहिर घुरहा हाड़ मांस के
माटी तोर कर डरिस गुमान
धरम भुलाके करम बिगाड़ीस
मानुष तन होगे बदनाम।
चोरी चपाटी डाका हत्या
करे सम्पत्ति खूब सकेले।
काम वासना हवस मा बंध के
नारी के इज्जत से खेले।
माटी के देवी के प्राण प्रतिष्ठा
घर के देवी ल मारे लात
गरभ के देवी ल गरभे मा मार के
जस बर कन्याभोज करात।
कतेक ऊंच अउ नीच बिधाता
तोर गढ़े संसार मां
एक तोर माटी लांघन मरगे
एक जियत अहंकार मां।
एक के तन मां चीथड़ा नई हे
एक बर जम्मों सुख सम्भोग
एक तोर माटी अन्न नई देखिस
एक बर शाही छप्पन भोग।
विधाता...देख जगत के अजब तमाशा
गजब मोर मन मुसकाय
जब मोर बनाय माटी के आघु
तोर बनाए माटी हर सीस नवाए।
📖🖋भीम ✍

The reality of.. Chhattisgarh
ReplyDeleteआभार मित्र
DeleteEk no bro
ReplyDeleteGajab dha rahe ho apni lekhni se chachaji, bahut badhai aapko👍
ReplyDeleteसहृदय आभार 🙏🙏🙏
Delete1 number bhai
ReplyDeleteKay bat hai bhai good
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