अमर बलिदानी भगतसिंह
भारत के सुन नौजवान तैं, कथा अमर बलिदानी के।
अंधरा बनके भटकत हस सुन , लबरा मन के कहानी तैं।
सुन तैं सच्चा मातृभूमि के वीर सपूत के कहानी ला।
अरपन कर तैं देश के खातिर दहकत अपन जवानी ला।
माता विद्यावती कौर अउ, पिता किशन सरदार के पूत।
गांव बंगा पंजाब में जनमे ,भारत माता के वीर सपूत।
क्रांतिकारी पिता अउ चाचा , सजा काट जब घर मा आये।
बड़ा भाग ए लइका जनमे दादी "भगत" कहि नाम धराए।
ननपन मां ही वीर अति खेले , बेसुध होके घाम अउ प्यास।
दु टोली मां बांट संगवारी अउ करे भयंकर युद्धाभ्यास।
बारह बरस के लइका देख तब, बारह मील तक भागत जाथे।
जलियांवाला बाग ल देख के , अंतस मन मां आहत पाथे।
देशभक्ति के गाथा सुन सुन, भगत यौवन के सीढ़ी चढ़गे।
तेज तड़ित विद्युत काया धर, अज़ादी बर नवयुवक बढ़गे।
लाहौर नेशनल कॉलेज छोड़के ,पढ़ई लिखई ला अपन गँवाए।
अज़ादी के लड़ई लड़े बर, "नौजवान भारत सभा" बनाएं।
रामप्रसाद बिस्मिल संग झूलगे , चार अउ वीर क्रांतिकारी।
भगत के मन उद्विग्न होगे ,काकोरी कांड होगे भारी।
भगत दौड़ दौड़ युवा साथी में , आज़ादी के अलख जगाए।
ब्रिटिश खात्मा मिलके करे बर, चंद्रशेखर संग हाथ मिलाए।
मिलगे दो बड़े क्रांतिकारी , युवा जेकर दीवाना रिहिस।
आगी मां हाथ रख शपथ लेवैय्या , भगतसिंह मस्ताना रिहिस।
सकेल के युवा तब लाला गरजे ,आर पार के ये धरना हे।
साइमन कमीशन के बहिष्कार करे बर, विरोध प्रचंड अब तोला करना हे।
देखते देखत जनसैलाब हा ,लालाजी संग बढ़ते जाए।
देख के भीड़ फेर अंग्रेजी शासन, लाठीचार्ज के आदेश लगाए।
पड़े जब लाठी क्रांतिकारी मन, गिरे सड़क धार लहू बोहाय।
इंकलाब के नारा लगाके ,मातृभूमि पर प्राण गँवाए।
सहसा पड़े लाला के मूड़ मां ,लाठी एक, फेर बारंबार।
फूटे मुड़ ले लहुवृष्टि होए, लालाजी गए स्वर्ग सिधार।
लालाजी के मौत ला देख तब, भगतसिंह से रही नई जाए
पुलिस सुपरिंटेंडेंट स्कॉट ला मारे के गुप्त योजना अपन बनाए।
भगतसिंह तब राजगुरु संग, लाहौर कोतवाली के आगू जाए।
जयगोपाल नित नज़र रखे अउ आज़ाद लुका के पहरा लगाए।
सवा चार के सांडर्स आगे ,मुड़ मां गोली राजगुरू दागे।
चार गोली फेर भगत चलाके ,जम्मों क्रांतिकारी उंहा ले भागे।
अंग्रेज सरकार के कान में जा के , हमला ये बात बताना हे।
देश के युवा अब जाग चुके हे ,ये संदेस पहुंचाना हे।
केंद्रीय असेम्बली मां बम फेकहि ,भगत सिंह अउ बटुकेश्वर दत्त।
नाम अपन सुन दुनो वीर करे , गरब होगे हिरदे गदगद।
आठ अप्रैल के दिन असेम्बली ,घटना देख देश हरसाए।
दुनो वीर जब पर्चा फेंकें ,खाली जगह मां बम बरसाए।
सोंच भगत फेर दत्त ला बोले ,आज डर के नई भगाना हे।
धर पकड़ा के सज़ा ला पाके ,देश ला अपन जगाना हे।
पुलिस पहुंच फेर बंदूक तान दिस, दु बछर बर जेल मां डाल दिस।
शारीरिक, मानसिक यातना भारी , सहन करे ओ क्रांतिकारी।
उल्टा बांधके डंडा पीटे ,बरफ मा सुता नून जखम मां छिचें।
भट्ठी जस फौलाद पिघल जाए, दरद पीरा मां हाड़ा गल जाए।
मुख ओकर वो मोड़ नई सकै , हौसला भगत के तोड़ नई सकै।
अडिग हिमालय भगत के साहस, चट्टान हिम्मत के वो फोड़ नई सकै।
चौसठ दिन के भुख हड़ताल मां , भगत अन्न के दाना नई खाए।
इहि अनसन मां यतीन्द्र दास तब, तड़प तड़प अपन प्राण गवाएं।
फ़ागुन के महीना हर रंग धर, अज़ादी के अरमान जगागे।
राजगुरु सुखदेव भगत के फांसी के फरमान सुनागे।
तेईस मार्च सन एकतीस के दिन ब्रम्हपुत्र अउ गंगा रोए।
हिमालय रोए विंध्याचल रोए अगोरत फांसी के फंदा रोए।
दीवाना मन के टोली देख, मनमस्त मगन हो आवत हे।
इंकलाब जिंदाबाद कहि के , रंग दे बसंती गावत हे।
बड़ा उमंग अउ बड़ा उत्साह, अउ अद्भुत वो मुसकान राहय।
मौत खबर सुन झूम उठैय्या , भारत के वो संतान राहय।
पहली बार ए धरती के , इतिहास मा ऐसे होवत हे।
जब मरने वाला हाँसत हे , अउ मारने वाला रोवत हे।
खड़े निर्भीक फंदा के आगू , अउ महासम्मान ला पावत हे।
अंतिम इच्छा हाथ खोल के , यारा गले लगावत हे।
आदेश पा के तब तख़्ता खींच दिस, जेलर रोये शोक व्याप्त करे।
फंदा मां झूलत हे तीनो ललना ,अउ वीरगति ला प्राप्त करे।
ग्रह नक्षत्र अउ चंदा चंदैनी ,गरब करे देख भारत सुत।
धन्य हे भारत अउ धन्य ओ माता ,जोन जनम दिए ऐसे वीर सपूत।
इतिहास के पन्ना में भगत तोर, उप्पर सबले नाम रही।
अज़ादी के क्रांतिकारी तैं , सुरता तोर बलिदान रही।
जय हिंद , जय भारत

जय हिंद जय भारत जय छत्तीसगढ़,,,,
ReplyDeleteअमर शहीद मन ला शत शत नमन
ReplyDeleteवन्दे मातरम
ReplyDelete